‘इंडिया के पास पर्याप्त रणनीतिक विवेक…’, US को लेकर भारत को क्यों अलर्ट कर रहे चीनी थिंक टैंक!

अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति बाइडेन अब दो सप्ताह से भी कम समय के लिए व्हाइट हाउस में रहेंगे. बाइडेन ने भारत के साथ कूटनीतिक संबंधों की धार और रफ्तार को पहले की तरह ही जारी रखने के लिए अपने NSA जैक सुलिवन को भारत भेजा है. इस दौरे पर चीन की पैनी नजर है और चीनी के थिंक टैंक मानते हैं कि अपने हित साधने के लिए अमेरिका भारत के साथ गलबहियां कर रहा है.
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन के भारत दौरे ने चीनी थिंक टैंक को असहज कर दिया है. चीन को लगता है कि अमेरिका अपने रणनीतिक हितों को पूरा करने के लिए भारत के साथ रिश्ते गाढ़े कर रहा है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में एक लेख में एक चीनी थिंक टैंक ने कहा है कि भारत के पास पर्याप्त रणनीतिक विवेक है जिसका अमेरिका द्वारा आसानी से फायदा नहीं उठाया जा सकता.
भारत दौरे पर आए जैक सुलिवन ने सोमवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इससे पहले उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी भेंट की.
गौरतलब है कि अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति बाइडेन अब मात्र दो सप्ताह से भी कम समय के लिए व्हाइट हाउस में रहेंगे. अपनी विदाई के मौके पर बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ने एक कद्दावर अफसर को भारत भेजकर दोनों देशों के बीच संबंधों की अहमियत की ओर इशारा किया है.
जैक सुलिवन ने भारत के लिए महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका भारत की परमाणु ऊर्जा कंपनियों से पाबंदियां हटाने जा रहा है. अब अमेरिका नागरिक परमाणु सहयोग की प्रतिबंधित सूची से भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और इंदिरा गांधी आणविक अनुसंधान केंद्र को बाहर कर देगा. इससे भारत में परमाणु ऊर्जा के व्यापक इस्तेमाल को बढ़ावा मिलेगा.
भारत-अमेरिका के बीच इस सहयोग पर सिन्हुआ विश्वविद्यालय के नेशनल स्ट्रैटेजी इंस्टीट्यूट में रिसर्च डिपार्टमेंट के निदेशक कियान फेंग ने टिप्पणी की है.
‘चीन-भारत के बीच दरार चाहता है US’
उन्होंने ग्लोबल टाइम्स से कहा, “चीन-भारत संबंधों में हाल में आए सुधार को देखते हुए, अमेरिका को चिंता है कि इससे चीन को कंट्रोल करने में भारत की भूमिका कमजोर हो सकती है, इसलिए, अमेरिका इस अवसर का उपयोग भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने, सहयोग की नींव को पुष्ट करने में करना चाहता है.”
कियान फेंग ने यह भी कहा कि अमेरिका बीजिंग और नई दिल्ली के बीच दरार पैदा करने के लिए संभावित मुद्दों का फायदा उठाना चाहता है.
“अमेरिका बीजिंग और नई दिल्ली के बीच दरार पैदा करना चाहता है.”कियान फेंग, नेशनल स्ट्रैटेजी इंस्टीट्यूट
‘चाइना थ्रेट की कहानी को बढ़ा चढ़ाकर पेश कर रहा अमेरिका’
चाइना फॉरेन अफेयर्स यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर ली हाईडोंग ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि भारत चीन को लेकर नीति में टकराव वाला रवैया बनाए रखे.
ली हाईडोंग ने सोमवार को ग्लोबल टाइम्स से कहा कि वाशिंगटन ‘चाइना थ्रेट’ की कहानी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर अपनी अहमियत और विशेषता उजागर करना चाहता है.
अमेरिका का उद्देश्य स्वयं के रणनीतिक हितों की पूर्ति के लिए क्षेत्रीय उथल-पुथल पैदा करना है.ली हाईडोंग, प्रोफेसर, चाइना फॉरेन अफेयर्स यूनिवर्सिटी
प्रोफेसर हाईडोंग ने कहा कि सामरिक स्थिरता का ये डर पैदा करना चीन-भारत संबंधों के प्रति अमेरिका के दृष्टिकोण की खासियत को बताता है. इसका उद्देश्य स्वयं के रणनीतिक हितों की पूर्ति के लिए क्षेत्रीय उथल-पुथल पैदा करना है.
प्रोफेसर ली हाईडोंग ने भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और भारत की गुटनिरपेक्ष परंपरा का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के पास पर्याप्त रणनीतिक विवेक और अमेरिका उसका आसानी से फायदा नहीं उठा सकता.
ग्लोबल टाइम्स कहता है कि दोनों पक्षों के प्रयासों से चीन और भारत के बीच संबंधों में सुधार हो रहा है. पांच साल में पहली बार भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अक्टूबर 2024 में मुलाकात की. यह एक ऐसा कदम है जिसका सीमा तनाव के बाद चीन-भारत संबंधों की बहाली के लिए रणनीतिक महत्व है. इसके बाद दिसंबर 2024 में चीन-भारत के बॉर्डर विवाद पर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों की 23वीं बैठक बीजिंग में हुई, यहां 6 बिंदुओं पर सहमति बनीं.
बता दें कि लद्दाख के गलवान में भारत और चीन के बीच टकराव के 5 सालों के बाद पिछले साल नवंबर में डेमचोक और देपसांग में दोनों देशों के सेनाओं ने पेट्रोलिंग की. इसे दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने बड़ा कदम माना जा रहा है.
नेशनल स्ट्रैटेजी इंस्टीट्यूट में रिसर्च डिपार्टमेंट के निदेशक कियान फेंग का मानना है कि भारत अमेरिका और चीन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश कर सकता है. भारत सीमा से जुड़े मुद्दों पर चीन के साथ गतिरोध को खत्म करने की उम्मीद करता है; साथ ही अपने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए चीन के साथ अधिक व्यावहारिक आर्थिक सहयोग करने की भी कोशिश कर रहा है.
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