नवरात्रि के 9 दिन में क्या है रंगों का महत्व, जानें किस दिन किस कलर का वस्त्र करें धारण
Navratri colors : आज हम आपको यहां पर नवरात्रि के दिनों में किस दिन कौन से रंग से देवी के रूपों की पूजा करनी चाहिए, इसके बारे में बात करेंगे…
Navratri and colors : इस बार नवरात्रि 3 अक्तूबर 2024 से शुरू होने वाली है. पूरे नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएगी. क्योंकि देवी के नौ रूपों का अलग-अलग महत्व होता है. इस दौरान लोग 9 दिन का जगराता रखते हैं, उपवास करते हैं और पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करते हैं. पूरे नौ दिन नियम से घरों और पंडालों में सुबह शाम पूजा अर्चना और आरती होती है . आपको बता दें कि नवरात्रि में जैसे 9 रूपों और भोग का महत्व होता है, वैसे ही 9 दिन 9 रंग भी मायने रखता है. ऐसे में आज हम यहां पर नवरात्रि में किस दिन कौन से रंग से माता की पूजा करनी चाहिए, इसके बारे में बात करेंगे.

नवरात्रि में किस दिन कौन सा रंग पहनें
1- नवरात्रि के पहले दिन आप पूजा में लाल रंग का इस्तेमाल करें. यह माता शैलपुत्री को प्रिय है.
2- दूसरे दिन आपको शाही नीले रंग का वस्त्र का इस्तेमाल करना चाहिए. यह माता ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग है.
3- वहीं, तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा में पीले रंग का इस्तेमाल करना चाहिए. इनकी पूजा में आप पीले फूल का इस्तेमाल कर सकती हैं.
4- चौथे दिन आपको स्लेटी रंग का इस्तेमाल करना चाहिए. कुष्मांडा माता को यह रंग प्रिय है.
5- इसके अलावा मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना में हरे रंग का इस्तेमाल करें. इससे देवी मां बहुत प्रसन्न होती हैं. हरा रंग नया करने के लिए आपको प्रेरित करता है.
6- छठे दिन आप मां कात्यायनी को मीठे पान, लौकी या शहद का भोग लगा सकती हैं और पूजा में नारंगी रंगों का इस्तेमाल करें.
7- सातवें दिन आपको मां की पूजा में सफेद रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए. क्योंकि मां कात्यायनी को बेहद प्रिय है.
8- वहीं, आठवें दिन महागौरी की पूजा में गुलाबी रंग का इस्तेमाल करना चाहिए. यह उन्हें बहुत प्रिय है.
9- जबकि 9वें दिन सिद्धदात्री देवी की पूजा में आसमानी नीले रंग का इस्तेमाल करें. इससे देवी मां खुश होंगी.
तो इस नवरात्रि 9 दिन आप अलग-अलग रंगों के इस्तेमाल से पूजा करके मां का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.
मां दुर्गा के नौ रूपों से सीखे जाने लायक बातें
नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अवतार शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. इसमें मांग के हर रूप से आप कुछ ना कुछ अहम सीख को सीख सकते हैं.
शैलपुत्री : मां दुर्गा का ये रूप एक इंवेस्टर के तौर पर आपको अपनी गलतियों से सीख लेने और बार-बार खुद का मूल्यांकन करने की नसीहत देता है. मां के इस रूप की कहानी भगवान शिव की पत्नी सती और उनके आत्मदाह से जुड़ी है. इसलिए आपकी इंवेस्टमेंट जर्नी में
आपका अपनी गलती से सीखना काफी अहम होता है.
ब्रह्मचारिणी : मां का ये रूप एक इंवेस्टर को उसके सबसे अहम गुण की सीख देता है, जो होता है धैर्य. शेयर बाजार में निवेश के दौरान अक्सर मार्केट ऊपर-नीचे होता है, तब आपका धैर्य ही आपको जीवन का सबसे सही फैसला लेने में मदद करता है.
चंद्रघंटा : देवी अपने इस रूप में ज्ञान का अवतार है. इसलिए एक निवेशक के तौर पर इस रूप से सबसे बड़ी सीख नॉलेज बढ़ाने और गोल को एकदम साफ रखने की मिलती है.ताकि आप निवेश से जुड़े फैसले काफी सूझ-बूझ से ले सकें.
कूष्मांडा : मां के इस रूप को सृष्टि का सर्जक कहा जाता है. ये रूप किसी के सामर्थ्य को दर्शाता है. ऐसे में इस रूप से एक बात समझ आती है कि इंवेस्टमेंट जर्नी में आपको अक्सर नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन आपको इस बात पर भरोसा करना होता है कि आप
अपनी स्थिति को फिर से ठीक कर सकते हैं. उसके लिए जो भी जरूरी कदम हों, आप उन्हें उठाने में समर्थ हों.
स्कंदमाता : देवासुर संग्राम में स्कंदमाता ने सेनापति की भूमिका अदा की थी. इसलिए जब आप निवेश के संग्राम में कूदें, तो अपनी लीडरशिप क्वालिटी को बिल्ट करें और उसका सही इस्तेमाल करें. देवी का ये रूप आपको महंगाई, मार्केट में उतार-चढ़ाव की स्थिति में भी
संतुलन बनाकर आगे बढ़ने की सीख देता है.
कात्यायनी : मां दुर्गा का ये रूप आपको एक अच्छा ऑब्जर्वर और फ्यूचर के लिए जरूरी रिसर्च करने की सीख देता है. जब आप अपनी इंवेस्टमेंट जर्नी शुरू करते हैं, तब आपको सही मौके को भांपने के लिए बेहतरीन ऑब्जर्वर बनने और उसके लिए सटीक रिसर्च करने की
सबसे ज्यादा जरूरत होती है.
कालरात्रि : मां दुर्गा का ये सातवां रूप है जिसकी पूजा-अर्चना महासप्तमी के दिन की जाती है. मां का ये रूप बुराई से लड़ने की सीख देता है, जो इंवेस्टमेंट के समय बहुत काम आती है. कई बार ऐसा होता है कि आपके इंवेस्टमेंट डिसिजन गलत हो जाते हैं और आपके
पोर्टफोलियो में ऐसे शेयर होते हैं जो लगातार नुकसान में रहते हैं. ये पोर्टफोलियो को निगेटिव जोन में रखते हैं, इसलिए इनसे सही समय पर पीछा छुड़ाना यानी बुराई का नाश करना ही सही होता है.
महागौरी : मां दुर्गा का ये रूप आपको गलतियों से बचने की सीख देता है. जैसे कि आपका हद से ज्यादा खर्च करना, इंवेस्टमेंट में सही रुचि नहीं लेना और क्रेडिट कार्ड के लूप में फंसना या बहुत ज्यादा ईएमआई पर डिपेंड होना. इससे आप डेट साइकिल में भी फंस जाते
हैं. मां का ये रूप इन गलतियों से बचने या इनसे आगे बढ़कर खुद को सुधारने की सीख देता है.
सिद्धिदात्री : मां दुर्गा का ये रूप सिद्धि देने के लिए जाना जाता है. ऐसे में आप इससे अपने सबसे बुरे वक्त से सीख लेकर आगे बढ़ने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं; महंगाई, व्यापार में नुकसान, छंटनी का दौर ये वो मौके हैं जब आपको अपनी बुरे दौर से लड़कर आगे बढ़ने
की जरूरत होती है.
हिंदू धर्म में नवरात्रि का अहम स्थान है. साल में इसे 2 बार मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के सातवें महीने यानी आश्विन (क्वार) में मनाई जाने वाली नवरात्रि सितंबर और अक्टूबर के महीने में पड़ती है. इस दौरान पश्चिम बंगाल में जहां दुर्गा पूजा होती है. वहीं देश के बाकी हिस्सों में मां दुर्गा के पंडाल भी सजते हैं.