The Palash NewsThe Palash News
Notification Show More
Latest News
'दूल्हा सफाई' और धोखे के नए रुझान रिश्तों में भरोसे पर सवाल उठाते हैं ?
क्या शादियाँ एक व्यवसाय बन गई हैं? ‘दूल्हा सफाई’ और धोखे के नए रुझान रिश्तों में भरोसे पर सवाल उठाते हैं!
अंतरराष्ट्रीय ताजा खबर
Jharkhand Academic Council  Ranchi : JAC Board Class 12th Science & Commerce Exam 2025 Result Out !
Jharkhand Academic Council  Ranchi : JAC Board Class 12th Science & Commerce Exam 2025 Result Out !
ताजा खबर झारखंड शिक्षा/कैरियर
बदलते रिश्ते, टूटते परिवार: आधुनिकता के दौर में खोती नैतिकता और भावनात्मक जुड़ाव
बदलते रिश्ते, टूटते परिवार: आधुनिकता के दौर में खोती नैतिकता और भावनात्मक जुड़ाव
अंतरराष्ट्रीय
16 मई 2025: Aaj ka Rashifal
16 मई 2025: Aaj ka Rashifal
आज का राशिफल ताजा खबर
16 मई 2025: Aaj ka Rashifal
05 मई 2025: Aaj ka Rashifal
आज का राशिफल ताजा खबर
Aa
  • ताजा खबर
  • अंतरराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • राज्य
    • झारखंड
      • राँची
    • बिहार
  • राजनीतिक
  • ऑटोमोबाइल
  • खेल
  • तकनीकी
  • पर्व/त्योहार
  • मनोरंजन
  • लाइफ स्टाइल
  • व्यापार
  • शिक्षा/कैरियर
  • सरकारी योजना
  • वैराग्य विचार
  • वेबस्टोरीज
Aa
The Palash NewsThe Palash News
  • ताजा खबर
  • अंतरराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • राज्य
  • राजनीतिक
  • ऑटोमोबाइल
  • खेल
  • तकनीकी
  • पर्व/त्योहार
  • मनोरंजन
  • लाइफ स्टाइल
  • व्यापार
  • शिक्षा/कैरियर
  • सरकारी योजना
  • वैराग्य विचार
  • वेबस्टोरीज
Search
  • ताजा खबर
  • अंतरराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • राज्य
    • झारखंड
    • बिहार
  • राजनीतिक
  • ऑटोमोबाइल
  • खेल
  • तकनीकी
  • पर्व/त्योहार
  • मनोरंजन
  • लाइफ स्टाइल
  • व्यापार
  • शिक्षा/कैरियर
  • सरकारी योजना
  • वैराग्य विचार
  • वेबस्टोरीज
Follow US
ताजा खबरअंतरराष्ट्रीयतकनीकीराष्ट्रीयलाइफ स्टाइल

सोशल मीडिया का एडिक्शन दुनिया में टेंशन! क्यों बच्चों को ‘LOG OUT’ करना चाहती हैं सरकारें

Surbhi Shipra
Last updated: 2025/01/04 at 2:40 PM
Surbhi Shipra
Share
13 Min Read
सोशल मीडिया का एडिक्शन दुनिया में टेंशन! क्यों बच्चों को 'LOG OUT' करना चाहती हैं सरकारें
सोशल मीडिया का एडिक्शन दुनिया में टेंशन! क्यों बच्चों को 'LOG OUT' करना चाहती हैं सरकारें
SHARE

सोशल मीडिया का एडिक्शन दुनिया में टेंशन! क्यों बच्चों को ‘LOG OUT’ करना चाहती हैं सरकारें

बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर दुनियाभर में हो रही सख्ती.
बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर दुनियाभर में हो रही सख्ती.

भारत में 18 साल से कम उम्र के बच्चों को अब सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने से पहले अपने पैरेंट्स से सहमति लेनी होगी. केंद्र सरकार ने इसे लेकर मसौदा जारी किया है. सरकार के इस कदम ने अब इस बहस को एक बार फिर तेज कर दिया है कि आखिर बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखना क्यों जरूरी है?

Contents
सोशल मीडिया का एडिक्शन दुनिया में टेंशन! क्यों बच्चों को ‘LOG OUT’ करना चाहती हैं सरकारेंकिन देशों ने इसे लेकर उठाए कदमपाबंदियों के पीछे क्या तर्क हैं?ये आंकड़े भी जानना जरूरीमेंटल हेल्थ को लेकर क्यों है बहस?पाबंदियों से क्या हासिल हुआ है?सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बच्चों को क्या नुकसान होते हैं…लेकिन इसके फायदे भी हैं…टेक कंपनियां क्यों विरोध में हैं…क्या पैरेंट्स अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं…अश्लील कंटेंट के लिए क्या सिर्फ बच्चे जिम्मेदार?बड़ों को समझनी होगी भूमिका

भारत में 18 साल से कम उम्र के बच्चों को अब सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने से पहले अपने पैरेंट्स से सहमति लेनी होगी. केंद्र सरकार ने इसे लेकर मसौदा जारी किया है. सरकार के इस कदम ने अब इस बहस को एक बार फिर तेज कर दिया है कि आखिर बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखना क्यों जरूरी है? इसके फायदे और नुकसान क्या हैं? अन्य देशों में इसको लेकर क्या नियम हैं… सबसे जरूरी कि इन प्रतिबंधों से बच्चों के अधिकार कैसे प्रभावित होते हैं. टेक कंपनियों के क्या तर्क हैं?

दरअसल, बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल को लेकर जो सबसे आम तर्क दिया जाता है, वो ये कि इससे बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ रहा है. वो ऐसे कंटेंट देख रहे हैं जिसका असर उनके मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, दुनियाभर में 10% से अधिक किशोर सोशल मीडिया के इस्तेमाल से नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं. WHO की रिपोर्ट ये भी बताती है कि वैश्विक स्तर पर जैसे-जैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल बढ़ रहा है. बच्चों में मानसिक और शारीरिक समस्याओं में भी इजाफा हो रहा है.

किन देशों ने इसे लेकर उठाए कदम

बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर दुनियाभर में लंबे समय से डिबेट हो रही है. लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने सबसे पहले अपने देश में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल पर बैन लगाया. साथ ही ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने उन कंपनियों पर भी जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है जो बच्चों को प्रभावित करने वाले कंटेंट बनाएंगे. ऑस्ट्रेलिया के इस कदम के बाद दुनिया के कई देशों में इसे लेकर पहल शुरू हुई. न्यूजीलैंड की सरकार ने भी अपने यहां बच्चों की सोशल मीडिया से दूरी को लेकर नियम बनाने की प्रतिबद्धता जाहिर की है. इंडोनेशिया, मलेशिया, साउथ कोरिया, जापान, बांग्लादेश, सिंगापुर समेत कई ऐसे देश हैं जहां इसे लेकर बहस चल रही है. कंपनियों पर भी सख्ती की जा रही है. ब्रिटेन, फ्लोरिडा, नार्वे और फ्रांस समेत कई अन्य देशों ने भी अपने यहां बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल को लेकर पाबंदियां लगाई हैं.

पाबंदियों के पीछे क्या तर्क हैं?

बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखने के पीछे कई तर्क दिए जाते हैं. प्रोफेशनल तर्क जो दिया जाता है उसके अनुसार, इस नियम का उद्देश्य मेंटल हेल्थ रिस्क को कम करना है जो सोशल मीडिया के इस्तेमाल करने से हो रहा है. कहा जाता है कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बच्चों में एडिक्शन, साइबर बुलिंग और हिंसा का खतरा बढ़ा है.

ये आंकड़े भी जानना जरूरी

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, 8-18 वर्ष की आयु के करीब 30 प्रतिशत बच्चों के पास अपना खुद का स्मार्टफोन हैं, जबकि इस उम्र के करीब 62 फीसदी बच्चे अपने पैरेंट्स के फोन के माध्यम से इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं. वहीं, करीब 43 प्रतिशत के पास सक्रिय सोशल मीडिया अकाउंट हैं. वहीं, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज सहित कई रिसर्च में सामने आया है कि स्मार्टफोन, ऑनलाइन गेमिंग और सोशल मीडिया के एडिक्शन के चलते कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं.

मेंटल हेल्थ को लेकर क्यों है बहस?

मेंटल हेल्थ पर सोशल मीडिया का प्रभाव इस बहस के केंद्र में है. अमेरिका की सोशल साइकोलॉजिस्ट जोनाथन हैड्ट ने अपनी किताब The Anxious Generation में बताया है कि कैसे बच्चों के मोबाइल पर ज्यादा समय बिताने का असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ता है. उन्हें अवसाद, चिड़चिड़ेपन और काल्पनिक दुनिया की आदत हो जाती है.

मशहूर मनोचिकित्सक रीरी त्रिवेदी ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में बताया कि बच्चे जितनी देर फोन का इस्तेमाल करते हैं उतना ही ज्यादा उनमें डिप्रेशन का खतरा बढ़ता है. इमोशनली ब्लैकमेल करने की प्रवृत्ति बढ़ती है. उन्होंने कहा कि बच्चे फोन का इस्तेमाल अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए करते हैं, लेकिन इसका एडिक्शन ऐसा है कि वो इससे बुरी तरह डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं.

पाबंदियों से क्या हासिल हुआ है?

भले ही ये कहा जाता हो कि ऑस्ट्रेलिया ऐसी पाबंदी लगाने वाला पहला देश है. लेकिन ऐसा नहीं है कि इसको लेकर अन्य देशों ने पहले कदम नहीं उठाए हैं. 2011 में, दक्षिण कोरिया ने अपना “शटडाउन कानून” पारित किया था, जिसके तहत 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को रात 10.30 के बाद से सुबह 6 बजे के बीच इंटरनेट गेम खेलने से रोका गया था. लेकिन बाद में बाद में सरकार ने ‘युवाओं के अधिकारों का सम्मान करने’ की बात कहकर इस फैसले को रद्द कर दिया था.

– फ्रांस ने भी एक कानून पेश किया है जिसके तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को माता-पिता की सहमति के बिना 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तक पहुंच को रोका जाएगा. लेकिन रिसर्च में सामने आया कि ज्यादातर यूजर्स VPN का उपयोग करके प्रतिबंध से बचने में सक्षम थे.

– अमेरिकी राज्य यूटा में भी ऑस्ट्रेलिया की ही तरह कानून लाने की कोशिश की गई. लेकिन कोर्ट ने इसे नियमों के विरुद्ध बताते हुए खारिज कर दिया था.

सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बच्चों को क्या नुकसान होते हैं…

तमाम रिसर्च बताती हैं कि सोशल मीडिया पर अश्लील या हिंसक कंटेंट के संपर्क में आने से बच्चे मतलबी, आक्रामक और हिंसक बन सकते हैं. बच्चे अपनी या दूसरों की शर्मनाक या अश्लील तस्वीरें या वीडियो अपलोड कर सकते हैं या अजनबियों के साथ व्यक्तिगत जानकारी साझा कर सकते हैं. सोशल मीडिया के अनियंत्रित इस्तेमाल से बच्चे साइबरबुलिंग का शिकार हो सकते हैं. वहीं, इसका इस्तेमाल छोटी-बड़ी कंपनियां कर सकती हैं और आपके बच्चे द्वारा देखे जाने वाले विज्ञापनों और चीजें खरीदने की उनकी इच्छा को प्रभावित करने के लिए आपके बच्चे की व्यक्तिगत जानकारी का उपयोग कर सकते हैं.

साथ ही आपके बच्चे का डेटा उन संगठनों को बेचा जा सकता है जिनके बारे में वे नहीं जानते हैं. इसका एक बड़ा खतरा ‘प्रेशर टू इंगेज’ का भी है. सोशल मीडिया का एडिक्शन बच्चों में फॉलोअर्स बढ़ाने और उसे लगातार अपडेट करने का प्रेशर बनाता है. ऐसा नहीं होन पर वह तनाव में आ सकता है.

लेकिन इसके फायदे भी हैं…

सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बच्चे नए दोस्त बना रहे हैं. अलग-अलग विचारों और संस्कृतियों को समझ पा रहे हैं. सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बच्चे पढ़ाई के इतर भी अन्य एक्टिविटी में सफल हो रहे हैं. उनकी झिझक खुल रही है, वो अपनी भावनाओं को जाहिर कर पा रहे हैं. क्रिएटिविटी में भी इजाफा हो रहा है.
बच्चों का पक्ष जानना भी जरूरी…

इस बहस के बीच ये जानना जरूरी है कि बच्चों के भी वयस्कों की तरह ही अधिकार हैं. बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन स्पष्ट रूप से इन अधिकारों को मान्यता देता है, जिसमें राय व्यक्त करने का अधिकार शामिल है. खासतौर पर उन फैसलों पर जो उन्हें प्रभावित करते हैं. ऐसे में अगर सोशल मीडिया पर पाबंदियां लगेंगी तो ये बच्चों के गुण को खत्म कर देगा.

टेक कंपनियां क्यों विरोध में हैं…

किसी भी देश में जब सोशल मीडिया को लेकर कोई कानून आता है तो टेक कंपनियां उसका विरोध करती हैं. वो तर्क देती हैं कि इससे लोगों की आजादी छीनी जा रही है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के साइबर वकील विराग गुप्ता ने एक इंटरव्यू में बताया कि अमेरिका और यूरोप समेत कई देशों में स्पष्ट कानून हैं कि 13 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखा जाए. भारत जैसे देश में जहां 18 साल से कम उम्र के बच्चे गाड़ी नहीं चला सकते, किसी एग्रिमेंट में शामिल नहीं हो सकते, वहां सोशल मीडिया पर तमाम सहमतियां आसानी से ली जा रही हैं. उन्होंने बताया कि टेक कंपनियां इन सख्तियों का विरोध इसलिए करती हैं क्योंकि 40 फीसदी से ज्यादा रेवन्यू उन्हें बच्चों के जरिए आता है.

क्या पैरेंट्स अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं…

कई रिसर्च इन पाबंदियों पर सवाल उठाती हैं और तर्क देती हैं कि बच्चों में सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज और गलत कंटेंट तक उनकी पहुंच के लिए सिर्फ पैरेंट्स जिम्मेदार हैं. उनका तर्क है कि ज्यादातर बच्चों में इसकी लत इस वजह से लगती है क्योंकि पैरेंट्स बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं. बल्कि बच्चों पर नजर रखने से छुटकारा पाने के लिए वो फोन बच्चों के हाथों में थमाते हैं.

कई मनोवैज्ञानिक ये भी तर्क देते हैं कि पैरेंट्स को ये समझना होगा कि उनका बच्चा आखिर क्यों मोबाइल से चिपका हुआ है. उसे सोशल मीडिया या इंटरनेट पर ऐसा क्या मिल रहा है जो उसे उसके आसपास, घर में, दोस्तों से नहीं मिल रहा है. क्या उसकी सोशल लाइफ तो सीमित नहीं हो रही है? क्या वो अपनी इच्छाएं जाहिर नहीं कर पा रहा है? क्या घरवाले उसकी बातों को समझ नहीं पा रहे हैं?

अश्लील कंटेंट के लिए क्या सिर्फ बच्चे जिम्मेदार?

भारत में करीब 60 फीसदी से ज्यादा युवा अपने पैरेंट्स के मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. कई सर्वे ये स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत में अब भी ज्यादातर आबादी को स्मार्टफोन चलाने और उसे सही तरह से मैनेज करने नहीं आता है. लिहाजा वो सोशल मीडिया पर ऐसे कंटेंट देखते हैं जो फोन बच्चों के हाथ में जाने पर उन्हें प्रभावित करते हैं.

बड़ों को समझनी होगी भूमिका

अब जब सरकार बच्चों के सोशल मीडिया इस्तेमाल को लेकर सख्ती करने जा रही है तो पैरेंट्स को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी. उन्हें ये देखना होगा कि आखिर उनका बच्चा मोबाइल पर क्या देखता है. इससे भी ज्यादा जरूरी है कि पैरेंट्स को ये समझना होगा कि वो मोबाइल पर क्या सर्च करते हैं. क्या उनके कंटेंट बच्चों तक पहुंच रहे हैं.

इसे भी पढ़े :-4 जनवरी 2025:Aaj ka Rashifal

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook
  • Click to share on X (Opens in new window) X

Like this:

Like Loading...
TAGGED: सोशल मीडिया का एडिक्शन दुनिया में टेंशन! क्यों बच्चों को 'LOG OUT' करना चाहती हैं सरकारें
Share this Article
Facebook Twitter Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
1 Comment 1 Comment
  • Pingback: Samsung का बंपर ऑफर, फ्री मिलेगी Smart TV और साउंडबार, शुरू हुई खास सेल

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Might Also Like

'दूल्हा सफाई' और धोखे के नए रुझान रिश्तों में भरोसे पर सवाल उठाते हैं ?
अंतरराष्ट्रीयताजा खबर

क्या शादियाँ एक व्यवसाय बन गई हैं? ‘दूल्हा सफाई’ और धोखे के नए रुझान रिश्तों में भरोसे पर सवाल उठाते हैं!

June 11, 2025
Jharkhand Academic Council  Ranchi : JAC Board Class 12th Science & Commerce Exam 2025 Result Out !
ताजा खबरझारखंडशिक्षा/कैरियर

Jharkhand Academic Council  Ranchi : JAC Board Class 12th Science & Commerce Exam 2025 Result Out !

May 31, 2025
बदलते रिश्ते, टूटते परिवार: आधुनिकता के दौर में खोती नैतिकता और भावनात्मक जुड़ाव
अंतरराष्ट्रीय

बदलते रिश्ते, टूटते परिवार: आधुनिकता के दौर में खोती नैतिकता और भावनात्मक जुड़ाव

May 28, 2025
16 मई 2025: Aaj ka Rashifal
आज का राशिफलताजा खबर

16 मई 2025: Aaj ka Rashifal

May 16, 2025

About Us     Contact Us       Privay Policy      Disclaimer     Correction Policy     Fact Checking Policies     Our Team

Copyright © 2024 The Palash News

Removed from reading list

Undo
Go to mobile version
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?
%d