Bangal Hinsa: नासूर बना , भारत में सांप्रदायिक तनाव !
भारत में सांप्रदायिक तनाव एक नासूर बन गया है, जो देश की आत्मा को लगातार कुरेद रहा है। राजनेता अपनी संकीर्ण मानसिकता और वोट बैंक की राजनीति के चलते आग में घी डालने का काम करते हैं। उन्हें आम आदमी की परवाह नहीं, उन्हें तो बस अपनी सत्ता की कुर्सी प्यारी है।
दंगों में मरने वाले, घर बार खोने वाले तो आम नागरिक ही होते हैं। दंगाई तो भाड़े के टट्टू हैं, जिन्हें चंद रुपयों के लिए किसी का घर जलाने या किसी का खून बहाने में कोई हिचक नहीं होती। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि आखिर कब तक हम इस डर में जिएंगे कि किसकी सरकार आएगी तो हम सुरक्षित रहेंगे? कब तक हम अपने घरों में दुबके रहेंगे, यह सोचकर कि कहीं कोई उन्मादी भीड़ आकर हमारी जान-माल को नुकसान न पहुंचा दे?
Bangal Hinsa:
कोई भी कानून बनता है, तो उसे हिंदू-मुसलमान के चश्मे से क्यों देखा जाता है? वास बिल जैसे विधेयकों को लेकर भी अफवाहों का बाजार गर्म है। लोग सच जानने की कोशिश करने के बजाय, एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में लगे हैं। क्या हम इतने अंधे हो गए हैं कि हमें अपना भला-बुरा भी नहीं दिखता?
अगर हम हर छोटी-छोटी बात पर एक-दूसरे का घर जलाते रहेंगे, तो विकास कैसे होगा? सड़कें, अस्पताल, स्कूल कौन बनाएगा? क्या हम अपने बच्चों को यही विरासत देना चाहते हैं – नफरत और हिंसा से भरी एक दुनिया?
हमें समझना होगा कि हम सब एक ही मिट्टी के बने हैं, एक ही देश के नागरिक हैं। हमारा भविष्य एक-दूसरे से जुड़ा हुआ है। अगर हम एक-दूसरे को मारते रहेंगे, तो हम सब बर्बाद हो जाएंगे।
जरूरत है कि हम अपनी सोच बदलें, नफरत को प्यार से बदलें, और हिंसा को शांति से बदलें। हमें अपने नेताओं से सवाल पूछने होंगे, उन्हें जवाबदेह बनाना होगा। हमें ऐसी राजनीति को नकारना होगा जो लोगों को आपस में बांटती है।
हमें अपने देश के बारे में सोचना होगा, अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना होगा। हमें एक ऐसा भारत बनाना होगा जहाँ हर कोई सुरक्षित महसूस करे, जहाँ हर किसी को आगे बढ़ने का मौका मिले, जहाँ हर कोई खुशी से जी सके। यह तभी संभव है जब हम सब मिलकर काम करें, एक दूसरे का साथ दें, और एक दूसरे पर विश्वास करें।
क्या हम ऐसा भारत बना पाएंगे? यह सवाल हम सब से है।
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