
- यह हिंदू व्रत है, मुख्यतः विवाहित महिलाएँ अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना के लिए निर्जला (खाने-पानी से वंचित) व्रत रखती हैं।
- व्रत चाँद देखने के बाद ही तोड़ा जाता है।
- इस दिन महिलाएँ विशेष पूजा करती हैं, मेहंदी लगाती हैं, सुंदर वस्त्र पहनती हैं और “चौथ माता” की पूजा करती हैं।
- यह व्रत शुभ मुहूर्त और पंचांग के अनुसार किया जाता है
करवा चौथ 2025 — तिथि और समय
- तिथि: कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि, जो 9 अक्टूबर की रात 10:54 बजे से शुरू होकर 10 अक्टूबर की शाम 7:38 बजे तक रहेगी।
- व्रत समय: सुबह 6:19 बजे से लेकर रात 8:13 बजे तक।
- पूजा मुहूर्त: शाम 5:57 बजे से लेकर 7:11 बजे तक।
- चांद निकलने का समय: दिल्ली में रात 8:13 बजे।
पूजा विधि (Puja Vidhi)
- स्नान और शुद्धता: सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- व्रत संकल्प: शिव-पार्वती के समक्ष फूल और अक्षत लेकर संकल्प लें कि आप पूरे दिन व्रत रखेंगी और चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोलेंगी।
- सर्गी: सुबह के समय सर्गी का सेवन करें, जिसमें चिया सीड्स वाला ग्लो ड्रिंक शामिल किया जा सकता है, जो ऊर्जा और त्वचा के लिए लाभकारी है।
- पूजा सामग्री: करवा (मटकी), दीपक, सिंदूर, मिठाई, शृंगार सामग्री, और चांद के दर्शन के लिए छलनी (छन्नी) की आवश्यकता होगी।
- पूजा विधि: शाम के समय चांद के दर्शन के बाद पूजा करें, जिसमें गणेश, शिव, पार्वती और चंद्र देव की पूजा की जाती है।
करवा चौथ कथा (Karwa Chauth Katha)

करवा चौथ की कथा एक ब्राह्मणी की है, जिसने अपने पति की लंबी उम्र के लिए कठिन तपस्या की। उसकी भक्ति और समर्पण से प्रभावित होकर भगवान शिव ने उसके पति को जीवनदान दिया। यह कथा विवाहित महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन की कामना करती हैं।