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झारखंड स्थापना दिवस: संघर्ष, समृद्धि और पहचान की एक गौरवशाली यात्रा

PRERNA VERMA
Last updated: 2025/11/16 at 2:16 PM
PRERNA VERMA
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8 Min Read
झारखंड स्थापना दिवस: संघर्ष, समृद्धि और पहचान की एक गौरवशाली यात्रा
झारखंड स्थापना दिवस: संघर्ष, समृद्धि और पहचान की एक गौरवशाली यात्रा
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झारखंड स्थापना दिवस: संघर्ष, समृद्धि और पहचान की एक गौरवशाली यात्रा

हर साल 15 नवंबर को देशभर में झारखंड स्थापना दिवस बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक राज्य के गठन का प्रतीक नहीं है, बल्कि उस संघर्ष, बलिदान, सांस्कृतिक धरोहर और पहचान का उत्सव है जिसने आधुनिक झारखंड को एक विशिष्ट स्थान दिलाया है। 2000 में बिहार से अलग होकर बने इस राज्य ने अपनी अनोखी संस्कृति, आदिवासी परंपराओं, प्राकृतिक संसाधनों और विकास की नई गाथा से दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है।

Contents
झारखंड स्थापना दिवस: संघर्ष, समृद्धि और पहचान की एक गौरवशाली यात्राझारखंड राज्य का गठन: संघर्ष की लंबी कहानीप्रमुख चरण —झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर: भारत का आदिवासी हृदय1. नृत्य और संगीत2. त्योहार और परंपराएँ3. भाषा और बोलीप्राकृतिक संपदा और आर्थिक क्षमताउद्योगों का योगदानविकास की दिशा में झारखंड की मजबूत यात्रा1. खेल में मजबूती2. अवसंरचना विकास3. शिक्षा व स्वास्थ्यझारखंड स्थापना दिवस कैसे मनाया जाता है?रांची का मोराबादी मैदान मुख्य आकर्षणस्कूल और कॉलेजों में कार्यक्रमआदिवासी इलाकों में विशेष अनुष्ठानबिरसा मुंडा जयंती: झारखंड की आत्माउनके योगदान —आधुनिक झारखंड: चुनौतियाँ और संभावनाएँमुख्य चुनौतियाँसंभावनाएँझारखंड का भविष्य — नई ऊँचाइयों की ओरनिष्कर्ष

यह दिन महान स्वतंत्रता सेनानी धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती भी है, जिसने इस दिन को और अधिक ऐतिहासिक और भावनात्मक बना दिया है। बिरसा मुंडा ने अपने अल्पायु में ही अंग्रेजों के खिलाफ “उलगुलान” आंदोलन छेड़कर आदिवासी अस्मिता, जल-जंगल-जमीन की लड़ाई और स्वाभिमान की मिसाल पेश की। इसी कारण झारखंड की आत्मा उनकी विरासत में बसती है।


झारखंड स्थापना दिवस: संघर्ष, समृद्धि और पहचान की एक गौरवशाली यात्रा
झारखंड स्थापना दिवस: संघर्ष, समृद्धि और पहचान की एक गौरवशाली यात्रा

झारखंड राज्य का गठन: संघर्ष की लंबी कहानी

झारखंड राज्य बनने का रास्ता आसान नहीं था। यह संघर्ष लगभग 100 साल से भी ज्यादा पुराना है।
आदिवासी समाज, विशेषकर मुंडा, उरांव, संथाल और हो समुदाय ने बहुत पहले से ही अपनी अलग पहचान, संस्कृति और अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए आंदोलनों की शुरुआत की थी।

प्रमुख चरण —

  1. बिरसा मुंडा का उलगुलान (1890–1900)
    जल, जंगल और जमीन पर अधिकार की लड़ाई।

  2. झारखंड पार्टी का गठन (1950)
    जयपाल सिंह मुंडा ने राज्य गठन की मांग को मजबूत आधार दिया।

  3. लंबा राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन (1960–2000)
    हज़ारों प्रदर्शन, कई मांग पत्र और आंदोलन।

  4. 15 नवंबर 2000
    झारखंड आधिकारिक रूप से भारत का 28वां राज्य बना।

यह आंदोलन केवल एक राजनीतिक संघर्ष नहीं था, बल्कि यह उस पहचान को सहेजने का संघर्ष था जिसे आदिवासी समुदाय हमेशा से अपनी धरोहर मानता आया है।


झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर: भारत का आदिवासी हृदय

झारखंड की संस्कृति उसकी असली पहचान है। यहां की जनजातियाँ, त्योहार, नृत्य, पारंपरिक अध्ययन और प्रकृति-आधारित जीवनशैली इस राज्य को भारत के बाकी हिस्सों से अलग करती है।

1. नृत्य और संगीत

छऊ नृत्य, पइका नृत्य, जादुर नृत्य, सोहराय गीत, फगुआ, डोमकच जैसे अनगिनत कलात्मक रूप झारखंड की जीवंत पारंपरिक विरासत हैं।

2. त्योहार और परंपराएँ

करमा, सरहुल, सोहराय, तुषार पर्व आदिवासी समाज में प्रकृति पूजा की गहरी जड़ों को दर्शाते हैं।

3. भाषा और बोली

हिंदी के साथ-साथ नगपुरी, संथाली, उरांव, मुंडारी, कुरुख, हो और पंचपरगनिया बोलियाँ झारखंड की विविधता का प्रतीक हैं।


प्राकृतिक संपदा और आर्थिक क्षमता

झारखंड को भारत की “खनिज राजधानी” कहा जाता है क्योंकि यहां देश के लगभग 40% खनिज पाए जाते हैं।
कोयला, लोहा, यूरेनियम, तांबा, अभ्रक, बॉक्साइट से लेकर पत्थर उद्योग तक—यह राज्य देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यहां के प्रमुख औद्योगिक शहर जैसे जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, रांची देश के शीर्ष औद्योगिक केंद्रों में शामिल हैं।

उद्योगों का योगदान

  • स्टील उत्पादन

  • खनन

  • भारी मशीनरी

  • पावर सेक्टर

  • कृषि और वन उत्पाद

इसके अलावा झारखंड में सिल्क, लाह, लाख, हर्बल प्रोडक्ट और हस्तशिल्प भी विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं।


विकास की दिशा में झारखंड की मजबूत यात्रा

राज्य गठन के बाद झारखंड ने शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, परिवहन, कृषि, खेल और उद्योग जैसे क्षेत्रों में कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं।

1. खेल में मजबूती

  • हॉकी, फुटबॉल, तीरंदाजी में झारखंड ने विश्व स्तर पर सितारे दिए।

  • ओलंपिक पदक विजेता लवलीना, रिंकू, निकी, और क्रिकेट में महेंद्र सिंह धोनी जैसे नाम झारखंड को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाते हैं।

2. अवसंरचना विकास

  • नए हाइवे

  • एयरपोर्टों के विस्तार

  • स्मार्ट सिटी परियोजनाएँ

  • ग्रामीण सड़कों का मजबूत नेटवर्क

3. शिक्षा व स्वास्थ्य

  • नए मेडिकल कॉलेज

  • विश्वविद्यालयों का विस्तार

  • सरकारी स्वास्थ्य योजनाएँ

  • आदिवासी छात्रों के लिए विशेष आवासीय स्कूल

इन परियोजनाओं ने राज्य को विकास के नए रास्तों पर आगे बढ़ाया है।


झारखंड स्थापना दिवस कैसे मनाया जाता है?

पूरे राज्य में 15 नवंबर को विशेष समारोह, सांस्कृतिक कार्यक्रम, मेले, प्रदर्शनियाँ और सरकारी योजनाओं के शुभारंभ के साथ यह दिन मनाया जाता है।

रांची का मोराबादी मैदान मुख्य आकर्षण

  • भव्य परेड

  • कला व संस्कृति समारोह

  • बिरसा मुंडा की जयंती कार्यक्रम

  • सरकारी उपलब्धियों की झांकी

  • हजारों लोगों की उपस्थिति

  • सुरक्षा और प्रबंधन की विशेष व्यवस्था

स्कूल और कॉलेजों में कार्यक्रम

  • निबंध लेखन प्रतियोगिता

  • आदिवासी नृत्य प्रस्तुतियाँ

  • इतिहास पर विशेष भाषण

  • बिरसा मुंडा पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम

आदिवासी इलाकों में विशेष अनुष्ठान

  • सरहुल स्थल पर पूजा

  • गांवों में पारंपरिक नृत्य

  • झांकी और शोभायात्रा

  • स्थानीय मेलों का आयोजन


बिरसा मुंडा जयंती: झारखंड की आत्मा

झारखंड स्थापना दिवस का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इस दिन भगवान बिरसा मुंडा की जयंती भी मनाई जाती है।

वे केवल एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, बल्कि एक सामाजिक क्रांतिकारी, आध्यात्मिक नेता और आदिवासी स्वाभिमान के प्रतीक थे।

उनके योगदान —

  • अंग्रेजी शासन के खिलाफ उलगुलान

  • आदिवासी अधिकारों की रक्षा

  • शोषण और अन्याय के खिलाफ विद्रोह

  • समाज सुधार आंदोलन

  • जल-जंगल-जमीन की लड़ाई

उनका जीवन आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा है।


आधुनिक झारखंड: चुनौतियाँ और संभावनाएँ

राज्य ने 25 सालों में बहुत कुछ हासिल किया है, लेकिन अनेक चुनौतियाँ भी हैं—

मुख्य चुनौतियाँ

  • बेरोजगारी

  • ग्रामीण गरीबी

  • नक्सलवाद

  • शिक्षा की कमी

  • स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव

  • खनन क्षेत्र में अवैध गतिविधियाँ

लेकिन इन चुनौतियों के बीच राज्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।

संभावनाएँ

  • पर्यटन क्षेत्र

  • खनिज आधारित उद्योग

  • IT और टेक्नोलॉजी सेक्टर

  • स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी

  • उद्यमिता और स्टार्ट-अप

  • आदिवासी कला और संस्कृति का वैश्विक विस्तार


झारखंड का भविष्य — नई ऊँचाइयों की ओर

आज रांची, धनबाद, बोकारो, जमशेदपुर जैसे शहर आधुनिक ढांचे की ओर बढ़ रहे हैं।
सरकारी नीतियाँ, नए निवेश, युवाओं का तकनीक से जुड़ाव और पर्यटन को बढ़ावा देने जैसी पहल झारखंड को एक विकसित और समृद्ध राज्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।


निष्कर्ष

झारखंड स्थापना दिवस सिर्फ एक उत्सव नहीं है — यह उस गर्व, संघर्ष, विरासत और आत्मसम्मान का प्रतीक है जिसने झारखंड को नई पहचान दी है।

मोराबादी के मैदान से लेकर गांव-कस्बों तक हर जगह यह दिन राज्य की एकता, संस्कृति और विकास की कहानी सुनाता है।
बिरसा मुंडा की जयंती इस उत्सव को और पवित्र बनाती है, क्योंकि उनका जीवन ही झारखंड की आत्मा है।

आज का झारखंड सपनों और संभावनाओं से भरा हुआ है।
आदिवासी परंपराएँ, प्राकृतिक संसाधन, युवा शक्ति और समृद्ध संस्कृति मिलकर झारखंड को एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जा रहे हैं।

इसे भी पढ़ें: Jharkhand Assistant Jailor Vacancy 2025

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