R.B.I. द्वारा जारी किया गया डिजिटल बैंकिंग के नियम, बैंकिंग उपभोक्ताओं के लिए कितना उपयोगी
भारत में डिजिटल वित्तीय सेवाओं के तेज़ विस्तार के साथ-साथ उपभोक्ता सुरक्षा, साइबर सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता को मजबूत करने के उद्देश्य से R.B.I ने हाल के वर्षों में कई महत्वपूर्ण नियम जारी किए हैं। वर्ष 2024-25 के आरम्भ में दिशा-निर्देश डिजिटल बैंकिंग को सुरक्षित, पारदर्शी और सुगम बनाने की दिशा में बड़े सुधार के रूप में देखे जा रहे हैं।
आइए हम देखते हैं कि वे प्रमुख नियम क्या हैं जो उपभोक्ता को साइबर सुरक्षा तथा अपने अनुसार बैंकिंग प्रक्रिया को चुनने की आजादी प्रदान करती हैं।
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नया Digital Banking Channels Authorization Direction
R.B.I. इस दिशा-निर्देशों के अंतर्गत निम्न बिंदुओं को रखा गया है:
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इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, APPS, USSD, SMS आदि को डिजिटल बैंकिंग चैनल माना जाएगा।
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बैंक डिजिटल बैंकिंग की सुविधा देने से पहले ग्राहक की स्पष्ट और लिखित सहमति (Explicit Consent) लेंगे।
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सहमति के बिना ग्राहक से बीमा/सहमति के डिजिटल बैंकिंग नहीं शुरू की जा सकेगी।
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यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर कोई ग्राहक डिजिटल बैंकिंग लेना नहीं चाहता है तो बैंक उस पर दबाव नहीं देगा। (जैसे डेबिट कार्ड) का उपयोग डिजिटल बैंकिंग से जोड़कर बाध्य नहीं कर सकती।
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बैंक को डिजिटल चैनल के माध्यम से लेन-देन (कुल-कर्ज (Consolidated Loan facility) से पहले R.B.I. की लिखी स्वीकृति लेनी होगी।
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वेबसाइट डोमेन विस्तार – वेबसाइट का डोमेन/स्थान टॉप लेवल डोमेन bank.in को अपनाना होगा।

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यह 2025 की शुरुआत में ही R.B.I. ने निर्देश दिया था कि सभी बैंक अपनी वेबसाइट को एक विशेष टॉप लेवल डोमेन bank.in को अपनाना होगा।
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इसका उद्देश्य धोखाधड़ी/फ़िशिंग और फ़र्ज़ी वेबसाइट से आम जनता को बचाना और डिजिटल बैंकिंग में विश्वास बनाए रखना है।
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डिजिटल जमा पर तरलता से जुड़ी नई व्यवस्था (Digital enabled deposits liquidity)
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R.B.I. के द्वारा बैंकों को यह निर्देशित किया गया है कि 1 अप्रैल 2026 से इंटरनेट/मोबाइल बैंकिंग सक्षम (enabled) खुदरा (retail) या छोटे व्यवसाय जमा पर अतिरिक्त 2.5% “run off factor” लागू किया जाएगा। इसका मतलब है, ‘जमा की खतरा मानकर बैंक को अधिक तरलता बनाने/रखने की जरूरत होगी।’ इससे बैंकिंग सिस्टम में अचानक व बहुत अधिक धन निकासी की स्थिति में स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी।
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डिजिटल भुगतान/लेन-देन सुरक्षा को मज़बूत करना – (Enhanced Digital Payment Security)
- 1 अप्रैल 2026 से डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के लिए Two-Factor Authentication अनिवार्य किया जाएगा। अभी सिर्फ SMS OTP पर निर्भर नहीं रहेगा, प्रिंट बायोमैट्रिक का फिंगरप्रिंट/स्कैनर और टोकन जैसे अतिरिक्त सुरक्षा स्तर होंगे।

प्रभाव: R.B.I. द्वारा जारी किया गया डिजिटल बैंकिंग के नियम,
इन नियमों के परिणामस्वरूप डिजिटल बैंकिंग में पारदर्शिता, सुरक्षा और उपभोक्ता अधिकारों का संरक्षण बढेगा। साइबर धोखाधड़ी में कमी आएगी, बैंकिंग प्रणाली अधिक स्थिर होगी, और डिजिटल लेन-देन के प्रति जनता का भरोसा मजबूत होगा। परन्तु इसमें कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जिनमें प्रमुख ग्रामीण व कम डिजिटल साक्षर नागरिकों के लिए डिजिटल प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण भी बन सकती है। इसलिए यह आवश्यक है कि सरकार बड़े स्तर पर डिजिटल साक्षरता कार्यक्रम चलाए।
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