सब ठीक हो जायेगा
हाँ, सही कहा, एक दिन सब कुछ ठीक हो जाएगा। पर जब बुरा हो रहा होता है, तब तो कुछ भी ठीक नहीं लगता।
आर्थिक और मानसिक सभी तरह की परेशानियाँ एक साथ आपको घेर लेती हैं, या यूँ कहें कि हमारे अंदर नेगेटिव बातें लगातार आने लगती हैं। मन और दिमाग दोनों ही एक-दूसरे से बहुत ज़्यादा बात करने लगते हैं, पर दिल और दिमाग की हरकतें बिल्कुल भी आपस में मैच नहीं करतीं। इसीलिए हमारा निर्णय ऐसी स्थिति में कई बार गलत साबित हो जाता है। इंसान अत्यधिक सोचने के कारण सही निर्णय तक पहुँच ही नहीं पाता है, और जीवन का वो क्षण चक्रव्यूह में ऐसे फंसा प्रतीत होता है जैसे इससे अब बाहर निकला ही नहीं जा सकता है।
Anxiety और फिर Depression
पर यही वो क्षण है जब तुम या तो उबर जाते हो या बिखर जाते हो। यहीं पे आपकी मानसिकता की परीक्षा होती है, कि आप मानसिक तौर पर मजबूत हैं या कमजोर। Anxiety और फिर Depression कई बार लोगों को ऐसी स्थिति में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि हम लगातार अत्यधिक सोच की गहराइयों में उतरते चले जाते हैं और अपने लिए बुरे से भी बुरा सोचना प्रारंभ कर देते हैं, और ये काम हम लगातार करते ही जाते हैं।
जबकि जहाँ से आपकी सोच बदल जाएगी, वहीं से आपका जीवन बदल जाएगा। क्योंकि आप जो पिछले एक महीने से सोचते आ रहे हैं, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ, पर आप इन बातों पर ध्यान न देकर बस भविष्य में होने वाली कठिनाइयों में ही उलझे रहते हैं और यही गलती कहीं न कहीं आपको अंदर ही अंदर दीमक की तरह चाट रही होती है। और आप लगातार अवसाद ग्रस्त जीवन जीकर काफी थक चुके होते हैं, और इस जीवन का आनंद ही लेना भूल जाते हैं जो सिर्फ और सिर्फ वर्तमान में ही है।

जो हो गया उसे तुम बदल नहीं सकते और कल जो होगा उसका भी तुम्हें ज्ञान नहीं है, बस तुम अनुमान लगाते रहते हो। तो आज से एक काम करो, अनुमान ही लगाना है तो सिर्फ ये लगाओ कि सब कुछ ठीक हो रहा है, तुम्हारा हर दिन कल से बेहतर होता जा रहा है, हर दिन गुजरने के साथ आनंद भी बढ़ता जा रहा है।
ऐसा सिर्फ सोचकर देखो, खुदबखुद सब ठीक होता जाएगा, क्योंकि इतना कुछ तो बिगड़ा भी नहीं कि तुम संभाल न सको। सकारात्मक सोचते सोचते कब राह निकल आएगी तुम्हें भी समझ नहीं आएगा।
शून्य से शुरुआत करो
शून्य से शुरुआत करो, तुम ऐसे बीज हो जिसे कईयों बार दफन किया गया है और तुम फिर बाहर निकल आए हो, क्योंकि तुममें असीमित संभावनाएँ छिपी हैं फिर से अंकुरित होने की।


तुम अभी दफन हो मिट्टी की गहराइयों में
तुम अभी दफन हो मिट्टी की गहराइयों में, पर तुम्हारी मंजिल तो उगता सूरज है, तुम जल्दी ही बाहर निकल आओगे, क्योंकि ऊपर सूर्य तुम्हारी राह तकता है, और चांदनी अपनी बाहें पसारे खड़ी है तुम्हारे स्वागत को।
सब ठीक हो जायेगा
