Delhi: traffic jam, सड़कों की डिजाइन और पॉपुलेटेड क्राउड वाले जोन कैसे प्रदूषण में कर रहे आग में घी का काम?
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट में दिल्ली के प्रदूषण को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है. सीएई ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए किए गए कई तकनीकी उपाय के बाद भी वाहनों से होने वाले प्रदूषण दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या बनकर उभरा है.
देश की राजधानी गंभीर प्रदूषण से जूझ रही है. बीते दिनों के मुकाबले प्रदूषण के स्तर में सुधार हुआ है. हालांकि, अभी-भी बेहद खराब स्तर पर बनी हुई है. इसी बीच सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट में दिल्ली के प्रदूषण को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है. सीएई ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए किए गए कई तकनीकी उपाय के बाद भी वाहनों से होने वाले प्रदूषण दिल्ली में वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या बनकर उभरा है.
इन कारणों को देखते हुए सीएसई ने उन कारणों का आकलन किया है जो बढ़ते प्रदूषण और भीड़भाड़ की समस्याओं के लिए जिम्मेदार है. सीएसई ने इस बढ़ती चुनौती को समझने के लिए पार्टिकुलेट मैटर पॉल्यूशन के ट्रेंड के लिए बढ़ता मोटराइजेशन, भीड़भाड़ का असर और पब्लिक ट्रांसपोर्ट की स्थिति का विश्लेषण किया है.
सीएई ने अपने नए विश्लेषण में बताया कि कैसे सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट और स्थानीय कामर्शियल वाहनों के लिए अब तक के सबसे बड़े सीएनजी कार्यक्रम को लागू करने के बाद भी 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहन, अन्य जगहों पर जाने वाले ट्रकों पर प्रतिबंध, भारत स्टेज-6 उत्सर्जन मानकों की शुरुआत और ईवी वाहन की शुरुआत के बाद भी वाहन प्रदूषण को बढ़ाने के प्रमुख कारणों में से एक बनकर उभरा है.
रिपोर्ट के अनुसार, सर्दियों बढ़ने वाले प्रदूषण लोकल स्तर पर होने वाला प्रदूषण ज्यादा जिम्मेदार है. PM2.5 साल 2019-20 के स्तर की तुलना में 2023-24 में लगभग 35 प्रतिशत कम हो गया है, लेकिन औसत PM2.5 सांद्रता लगभग स्थिर हो गई है. जो पिछले 5 सालों में सबसे ज्यादा है.
वहीं, पिछले पांच सालों में सर्दियों में PM2.5 सांद्रता का औसत 2023-24 में सबसे ज्यादा 189 µg/m3 था. 2019-20 की तुलना में 2023-24 में सर्दियों में औसत सांद्रता में 9% की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में सलाह दी गई है कि इस बढ़ते ट्रेंड्स पर तुरंत कार्रवाई की जरूरत है.
दिल्ली के प्रदूषण में किसका योगदान है?
रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का कारण वाहन हैं. कई सोर्स के प्रदूषण योगदान के साल भर के आकलन पर आईआईटी कानपुर, एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट और एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट एंड इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटेरोलॉजी SAFAR समेत कई एजेंसियों द्वारा किए गए अध्ययन ने पहले ही वाहनों को मुख्य प्रदूषण का कारण बताया था. और धूल, आग को प्रदूषण का दूसरा सबसे प्रमुख कारण बताया.
आईआईटी-कानपुर, 2015, TERI-ARAI, 2018 और SAFAR, 2018 द्वारा दिल्ली में किए गए उत्सर्जन लिस्ट का अध्ययन बताते हैं कि पीएम 2.5 में ट्रांसपोर्ट सेक्टर का योगदान क्रमशः 20 प्रतिशत, 39 प्रतिशत और 41 प्रतिशत है. जो ट्रांसपोर्ट सेक्टर के वाहनों का वायु प्रदूषण में दूसरा सबसे प्रमुख कारण बनाता है.
क्या कहता हैं IIT कानपुर का अध्ययन
आईआईटी कानपुर के अध्ययन से पता चलता है कि सर्दियों के दौरान जब शहर प्रदूषण की धुंधली धुंध की चपेट में होता है तो इसमें धूल की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत से कम हो जाती है.
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली में बढ़ते शहरीकरण और लंबी यात्रा कर काम पर अपने वाहन से जाने वालों की वजह से भी प्रदूषण बढ़ा है. इसके साथ ही सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट पर भी इसका असर पड़ा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि सार्वजनिक परिवहन में यात्रा की कॉस्ट निजी वाहन की तुलना में ज्यादा है जो लोगों को निजी वाहनों का इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करती है. वहीं, सार्वजनिक वाहनों से ज्यादा करने वालों का आंकड़ा कोरोना महामारी के बाद से लगातार कम हुआ है.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यात्रा करने वालों में आई कमी
साथ ही 2021 के बाद से बस संख्या में वृद्धि से यात्रियों की संख्या में कुछ हद तक वृद्धि हुई है, लेकिन यह अभी तक महामारी से पहले के स्तर तक नहीं पहुंच पाई है. महामारी के बाद से डीटीसी बसों में सवारियों की संख्या में 25 प्रतिशत की कमी देखी गई है और क्लस्टर बसों में 7 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है. दिल्ली में मेट्रो का विशाल नेटवर्क है और कोविड के बाद मेट्रो यात्रियों की संख्या में तेजी से सुधार हुआ है.
44 प्रतिशत सड़कों पर नहीं है फुटपाथ
रिपोर्ट के अनुसार MoRTH, दिल्ली में लगभग 16,170 किमी सड़क नेटवर्क है. लगभग 42% दिल्लीवासी एनएमटी मोड का इस्तेमाल करते हैं. जिसमें उनके दैनिक आवागमन के लिए पैदल चलना और साइकिल चलाना शामिल है. इसके अलावा दिल्ली में लगभग 44% सड़कें ऐसी हैं, जिनपर कोई फुटपाथ नहीं है और केवल 26% फुटपाथ ही आईआरसी नियमों पर खरा उतरते हैं. साल 2018 में दिल्ली सरकार ने पैदल चलने और साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए 21 सड़कों की पहचान की थी, उन्हें साइकिलिंग और पैदल चलने वालों के लिए विकसित किया जा चुका है.
इन उपायों की है तुरंत जरूरत
रिपोर्ट में प्रदूषण के स्तर को कम करने के कुछ उपायों को तुरंत लागू करने कीं मांग की गई है. रिपोर्ट के अनुसार, स्वच्छ वायु बेंचमार्क को पूरा करने के लिए क्षेत्र में प्रदूषण के सभी प्रमुख स्रोतों से उत्सर्जन में गहरी कटौती की आवश्यकता है, मोबिलिटी संकट पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता होगी और जहरीले प्रदूषण में प्रमुख योगदानकर्ता को कम करने के लिए एक समझौते की जरूरत है.
धीमी गति से चल रहे सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को तेजी से बदलने होगा. इसके लिए बसों, मेट्रो और उनके एकीकरण के लिए बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने होगा. इन प्रणालियों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहन और निजी वाहनों के इस्तेमाल के लिए हतोत्साहित करने के लिए तुरंत एक गेम चेंजिंग रणनीति की जरूरत है.
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