झांसी अग्निकांड: ‘हाय मेरा बच्चा, एक बार चेहरा ही दिखा दो…’, बोलते-बोलते बेहोश हो गई जिगर के टुकडे़ को खोने वाली मां

Jhansi Agni kand:
झांसी अस्पताल के बाहर एक बच्चे की ताई आजतक से रोते हुए बताती है. ‘मैं बच्चे की बड़ी मां हूं. हमारा बच्चा नहीं मिल रहा है. अभी 8 दिन पहले ही पैदा हुआ था. उसकी मां भी भर्ती है. कोई कुछ नहीं बता रहा है.’ ऐसे ही एक पीड़ित का कहना है कि ‘वार्ड में 70 बच्चे थे. 70 बच्चे थे. जब आग लगी तब हम वहीं थे. जाली तोड़कर बच्चे निकाले गए.
यूपी के झांसी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के बाहर भीड़ जमा है. अफरा-तफरी है. लोग रो रहे हैं, बिलख रहे हैं. इसी बीच एक दंपति रोते हुए चीखता है. पति चिल्लाते हुए कहता है. ‘हमारा बच्चा नहीं मिल रहा है? कहां है कोई तो बता दो…’ इतना बोलकर वह फिर से दहाडे मारकर रोने लगता है. रोने वालों में वह अकेला नहीं है. ऐसे कई बदहवास परिजन, परिवार झांसी के उस मेडिकल कॉलेज परिसर में इधर-उधर दौड़-भाग कर रहे हैं, जिनके नवजात बच्चों ने अभी दुनिया में कदम रखा ही था कि वो या तो मौत का निवाला बन गए या उसके करीब हैं.
लोगों को नहीं पता, उनका बच्चा बचा या नहीं
सामने आया है कि NICU वार्ड, जिसमें आग लगी, वहां 10 बच्चों की जलकर मौत हो गई. वहीं 16 बच्चे जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. उनका इलाज जारी है. सबसे बड़ी और दिल दहलाने वाली बात ये है कि लोगों को नहीं पता कि जिन 10 बच्चों की मौत हो गई है, क्या उनमें उनका बच्चा भी है. कुछ बच्चों ने कुछ घंटो पहले ही जन्म लिया था, किसी ने हफ्ते भर पहले तो किसी की महज 10 दिन की ही उम्र है. परिवार के पास उनकी पहचान के लिए भी कुछ नहीं है और इस वजह से वे सभी लोग परेशान हैं, जिनके बच्चे यहां भर्ती थे और भीषण अग्निकांड का शिकार हो गए.
‘बच्चे का चेहरा तो दिखा दो’ (‘Show the child’s face’)
एक प्रसूता, जिसने हाल ही में बच्चे को जन्म दिया था, उसकी खुद की स्थिति अभी ठीक नहीं है. बहुत कमजोरी की अवस्था में ही बोल पड़ती है. ‘हाय मेरा बच्चा, एक बार चेहरा ही दिखा दो…’ इतना कहकर वह निढाल हो जाती है, उसका पति उसे संभालता है.
हमारा बच्चा नहीं मिल रहा…(Our child can’t be found…)
एक बच्चे की ताई, आजतक से रोते हुए बताती है. ‘मैं बच्चे की बड़ी मां हूं. हमारा बच्चा नहीं मिल रहा है. अभी 8 दिन पहले ही पैदा हुआ था. उसकी मां भी भर्ती है. कोई कुछ नहीं बता रहा है.’ ऐसे ही एक पीड़ित का कहना है कि ‘वार्ड में 70 बच्चे थे. 70 बच्चे थे. जब आग लगी तब हम वहीं थे. जाली तोड़कर बच्चे निकाले गए. हमारा बच्चा नहीं मिल रहा है.’ जिनके भी बच्चे यहां भर्ती थे, सभी के साथ पहली समस्या ये है कि उनके बच्चे हैं कहां?
खाक में तब्दील हुआ NICU वार्ड
जिस वार्ड में बच्चे रखे गए थे, उसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं. बच्चों को रखने वाली मशीनें पूरी तरह जलकर खाक हो गई हैं. पूरा वार्ड तहस-नहस हो गया है. लाइटें काटी हुई हैं.
झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को हुए भीषण अग्निकांड में 10 नवजात शिशुओं की मौत हो गई, जबकि 17 बच्चे घायल हो गए. घायलों को बेहतर इलाज के लिए अन्य अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। हादसे के समय करीब 54 बच्चे नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू वार्ड) में भर्ती थे.
वरिष्ठ अधिकारियों की तैनाती(deployment of senior officers)
घटना की गंभीरता को देखते हुए एडीजी जोन कानपुर आलोक सिंह झांसी के लिए रवाना हो गए हैं. साथ ही, डीआईजी झांसी रेंज और झांसी मंडलायुक्त को मामले की विस्तृत जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए मामले की विस्तृत रिपोर्ट शनिवार शाम तक तलब की है. उन्होंने राहत और बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं और घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा प्रदान करने का आदेश दिया है.
घटनास्थल पर राहत कार्य जारी(Relief work continues at the incident site)
फायर ब्रिगेड और प्रशासनिक टीमें मौके पर राहत कार्यों में जुटी हुई हैं. प्राथमिक जानकारी के अनुसार, हादसे की वजह शॉर्ट सर्किट मानी जा रही है. हादसे के बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन और स्थानीय प्रशासन स्थिति का जायजा ले रहे हैं. अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि इस हादसे की विस्तृत जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी
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