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Kaal Bhairav Jayanti 23/11/2024: काल भैरव जयंती पर कैसे करें उपासना? पूजा के वक्त बरतें ये सावधानियां

Surbhi Shipra
Last updated: 2024/11/22 at 5:29 PM
Surbhi Shipra
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Kaal Bhairav Jayanti 23/11/2024
Kaal Bhairav Jayanti 23/11/2024
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Kaal Bhairav Jayanti 23/11/2024: काल भैरव जयंती पर कैसे करें उपासना? पूजा के वक्त बरतें ये सावधानियां

Kaal Bhairav Jayanti 23/11/2024
Kaal Bhairav Jayanti 23/11/2024

Kaal Bhairav Jayanti: भगवान शिव की तंत्र साधना में भैरव का विशेष महत्व है. भैरव वैसे तो शिवजी के ही रौद्र रूप हैं, लेकिन कहीं-कहीं पर इन्हें शिव का पुत्र भी माना जाता है. ऐसी भी मान्यताएं हैं कि जो लोग भी शिव के मार्ग पर चलते हैं, उन्हें भैरव कहा जाता है.

Contents
Kaal Bhairav Jayanti 23/11/2024: काल भैरव जयंती पर कैसे करें उपासना? पूजा के वक्त बरतें ये सावधानियांभैरव के अलग-अलग स्वरूप और विशेषताकैसे करें काल भैरव की उपासना?भैरव की पूजा में सावधानियां

Kaal Bhairav Jayanti 2024: मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती मनाई जाती है. भगवान शिव की तंत्र साधना में भैरव का विशेष महत्व है. भैरव वैसे तो शिवजी के ही रौद्र रूप हैं, लेकिन कहीं-कहीं पर इन्हें शिव का पुत्र भी माना जाता है. ऐसी भी मान्यताएं हैं कि जो लोग भी शिव के मार्ग पर चलते हैं, उन्हें भैरव कहा जाता है. इनकी उपासना से भय और अवसाद का नाश होता है. व्यक्ति को अदम्य साहस मिल जाता है. शनि और राहु की बाधाओं से मुक्ति के लिए भैरव की पूजा अचूक होती है. इस बार कालाष्टमी 22 नवंबर यानी आज मनाई जाएगी.

भैरव के अलग-अलग स्वरूप और विशेषता

शास्त्रों में भैरव के तमाम स्वरूप बताए गए हैं. असितांग भैरव, रूद्र भैरव, बटुक भैरव और काल भैरव आदि. मुख्यतः बटुक भैरव और काल भैरव स्वरूप की पूजा और ध्यान सर्वोत्तम मानी जाती है. बटुक भैरव भगवान का बाल रूप है. इन्हें आनंद भैरव भी कहा जाता है. इस सौम्य स्वरूप की आराधना शीघ्र फलदायी होती है.

काल भैरव इनका साहसिक युवा रूप है. इनकी आराधना से शत्रु से मुक्ति, संकट, कोर्ट-कचहरी के मुकदमों में विजय की प्राप्ति होती है. असितांग भैरव और रूद्र भैरव की उपासना अति विशेष है, जो मुक्ति मोक्ष और कुंडलिनी जागरण के दौरान प्रयोग की जाती है.

कैसे करें काल भैरव की उपासना?

भैरव जी की पूजा संध्याकाल में करना उत्तम होता है. इनके सामने एक बड़े से दीपक में सरसों के तेल का दीपक जलाएं. इसके बाद उड़द या दूध से बनी चीजों को प्रसाद के रूप में अर्पित करें. विशेष कृपा के लिए इन्हें शरबत या सिरका भी अर्पित करें. तामसिक पूजा करने पर भैरव देव को मदिरा भी अर्पित की जाती है. प्रसाद अर्पित करने के बाद भैरव जी के मंत्रों का जाप करें.

भैरव की पूजा में सावधानियां

काल भैरव जयंती के दिन गृहस्थ लोगों को भगवान भैरव की तामसिक पूजा नहीं करनी चाहिए. सामान्यतः बटुक भैरव की ही पूजा करें. यह सौम्य पूजा है. काल भैरव की पूजा कभी भी किसी के नाश के लिए न करें. साथ ही काल भैरव की पूजा बिना किसी योग्य गुरु के संरक्षण के करना अनुचित है.

इसे भी पढ़े :-‘Zebra’ Telugu movie feedback : सत्यदेव की वित्तीय थ्रिलर ने कमाल कर दिया

 

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