The Palash NewsThe Palash News
Notification Show More
Latest News
'दूल्हा सफाई' और धोखे के नए रुझान रिश्तों में भरोसे पर सवाल उठाते हैं ?
क्या शादियाँ एक व्यवसाय बन गई हैं? ‘दूल्हा सफाई’ और धोखे के नए रुझान रिश्तों में भरोसे पर सवाल उठाते हैं!
अंतरराष्ट्रीय ताजा खबर
Jharkhand Academic Council  Ranchi : JAC Board Class 12th Science & Commerce Exam 2025 Result Out !
Jharkhand Academic Council  Ranchi : JAC Board Class 12th Science & Commerce Exam 2025 Result Out !
ताजा खबर झारखंड शिक्षा/कैरियर
बदलते रिश्ते, टूटते परिवार: आधुनिकता के दौर में खोती नैतिकता और भावनात्मक जुड़ाव
बदलते रिश्ते, टूटते परिवार: आधुनिकता के दौर में खोती नैतिकता और भावनात्मक जुड़ाव
अंतरराष्ट्रीय
16 मई 2025: Aaj ka Rashifal
16 मई 2025: Aaj ka Rashifal
आज का राशिफल ताजा खबर
16 मई 2025: Aaj ka Rashifal
05 मई 2025: Aaj ka Rashifal
आज का राशिफल ताजा खबर
Aa
  • ताजा खबर
  • अंतरराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • राज्य
    • झारखंड
      • राँची
    • बिहार
  • राजनीतिक
  • ऑटोमोबाइल
  • खेल
  • तकनीकी
  • पर्व/त्योहार
  • मनोरंजन
  • लाइफ स्टाइल
  • व्यापार
  • शिक्षा/कैरियर
  • सरकारी योजना
  • वैराग्य विचार
  • वेबस्टोरीज
Aa
The Palash NewsThe Palash News
  • ताजा खबर
  • अंतरराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • राज्य
  • राजनीतिक
  • ऑटोमोबाइल
  • खेल
  • तकनीकी
  • पर्व/त्योहार
  • मनोरंजन
  • लाइफ स्टाइल
  • व्यापार
  • शिक्षा/कैरियर
  • सरकारी योजना
  • वैराग्य विचार
  • वेबस्टोरीज
Search
  • ताजा खबर
  • अंतरराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • राज्य
    • झारखंड
    • बिहार
  • राजनीतिक
  • ऑटोमोबाइल
  • खेल
  • तकनीकी
  • पर्व/त्योहार
  • मनोरंजन
  • लाइफ स्टाइल
  • व्यापार
  • शिक्षा/कैरियर
  • सरकारी योजना
  • वैराग्य विचार
  • वेबस्टोरीज
Follow US
ताजा खबरराष्ट्रीयशिक्षा/कैरियर

Why was Gandhiji assassinated? : क्यो हुई थी गाँधी जी कि हत्या, जाने कौन है गोडसे ?

sonukachap
Last updated: 2024/10/02 at 4:11 PM
sonukachap
Share
17 Min Read
Why was Gandhiji assassinated?
Why was Gandhiji assassinated?
SHARE

क्यो हुई थी गाँधी जी कि हत्या, जाने कौन है गोडसे ?

Why was Gandhiji assassinated?: MAHATAMA GANDHI पर गोली चलाने वाले NATHURAM GODSE को घटनास्थल से ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया गया था और बाद में नारायण डी आप्टे और विष्णु करकरे समेत कई साजिशकर्ताओं के साथ उस पर मुकद मा चलाया गया था. हालांकि, कई लोगों के सामने गोली चलाने के बावजूद भी पुलिस ने इस मामले में गोडसे की पहचान के लिए आइडेंटिफिकेशन परेड आयोजित की गई थी. इस प्रोसेस को काफी सख्त प्रोटोकॉल के साथ पूरा किया गया था.

Contents
क्यो हुई थी गाँधी जी कि हत्या, जाने कौन है गोडसे ?इस पूरे आइडेंटिफिकेशन प्रोसेस के दौरान दो सबसे बड़े सवाल बचाव पक्ष ने उठाए थे:पहचान की ये प्रक्रिया :-कई सावधानियां बरती गईं :-बचाव पक्ष की दलीलें :-सावरकर की भूमिका :-मेडिकल रिपोर्ट :-बचाव पक्ष की रणनीति :-नेहरू  का  संदेश

10 फरवरी 1949 को लाल किले में राष्ट्रपिता MAHATAMA GANDHI की हत्या का मुकदमा चला. इसमें कई साजिशकर्ता सामने आए. कई गवाहों से घंटों क्रॉस एग्जामिनेशन किया गया. बाद में मुख्य आरोपी के तौर पर बापू के हत्यारे NATHURAM GODSE को फांसी की सजा सुनाई गई. इस फैसले की एक-एक बात तफ्सील से 211 पेजों की एक फाइल में दर्ज है.
आजतक की टीम ने इस पूरी फाइल को पढ़ा. आज बापू के जन्मदिन के मौके पर इस फाइल से हम आपके लिए निकालकर लाएं हैं कुछ अनसुनी दास्तान… इस सीरीज में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर हजारों लोगों के सामने गोली चलाने के बावजूद भी कैसे सुनिश्चित कई गई थी बापू के हत्यारे गोडसे की पहचान? बापू पर गोली चलाने वाले NATHURAM GODSE को घटनास्थल पर ही गिरफ्तार कर लिया गया था और बाद में नारायण डी आप्टे और विष्णु करकरे सहित कई साजिशकर्ताओं के साथ उस पर मुकदमा चलाया गया था. NATHURAM GODSE और नारायण डी आप्टे को बाद में गांधी जी की हत्या के आरोप में दोषी ठहराते हुए 15 नवंबर 1949 को फांसी दी गई थी. ये आजाद भारत की पहली फांसी की सजा थी.

Why was Gandhiji assassinated?
Why was Gandhiji assassinated?

pic credit- getty image

आइडेंटिफिकेशन परेड आपराधिक जांच का एक महत्वपूर्ण पहलू होता है. इसमें गवाहों को अलग-अलग व्यक्तियों में से आरोपियों की पहचान करने के लिए कहा जाता है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि अपराध करने वाले व्यक्ति की सटीक पहचान हो सके. गांधीजी की हत्या के मामले में, NATHURAM GODSE, नारायण डी. आप्टे और विष्णु करकरे सहित हत्या में शामिल प्रमुख आरोपियों की पहचान करने के लिए कई ऐसी परेड आयोजित की गईं.
कैसे हुई NATHURAM GODSE की पहचान

इस केस में सबसे जरूरी पहचान NATHURAM GODSE की थी. 28 फरवरी, 1948 को, पहली आइडेंटिफिकेशन परेड आयोजित की गई, जिसकी निगरानी मजिस्ट्रेट किशन चंद ने की. इस परेड में गोडसे के साथ नारायण आप्टे और विष्णु करकरे भी शामिल थे, साथ ही बारह दूसरे विचाराधीन आरोपी भी थे. इस प्रोसेस को काफी सख्त प्रोटोकॉल के साथ पूरा किया गया.

इस परेड के दौरान, कई गवाहों ने गोडसे को सही ढंग से पहचाना. प्रमुख गवाहों में राम चंदर, कालीराम, सी. पाचेको, मार्टो थडियस, सुरजीत सिंह, मस्त. कोलोचंस और छोटू बन शामिल थे. ये वो लोग थे, जिन्होंने बिना किसी संदेह के गोडसे को पहचाना. इन कई गवाहों की पहचान ने गोडसे के खिलाफ मामले को और भी मजबूत कर दिया.

इस पूरे आइडेंटिफिकेशन प्रोसेस के दौरान दो सबसे बड़े सवाल बचाव पक्ष ने उठाए थे:

  •  सिर ढकने का मुद्दा: बचाव पक्ष का दावा था कि NATHURAM GODSE को पहचानने के लिए आइडेंटिफिकेशन परेड के दौरान उसके सिर पर पट्टी बांधी गई थी, जिससे उसे अलग से आसानी से पहचाना जा सकता था. जबकि दूसरे विचाराधीन कैदियों को ये पट्टियां नहीं बांधी गई थीं, जिससे गवाहों के लिए गोडसे का पता लगाना आसान था.
    हालांकि, मजिस्ट्रेट किशन चंद ने अपनी गवाही में इसे लेकर साफ किया था. उन्होंने इस बात से इनकार किया और कहा कि सिर पर लगे कपड़े के कारण गोडसे की पहचान नहीं की गई है, बल्कि कई दूसरे कारण भी हैं. इसके अलावा, खुद गोडसे ने अपने बयान में माना था कि परेड में शामिल कुछ लोगों ने अपने सिर पर रूमाल या तौलिया ढका हुआ था, लेकिन उसके सिर पर बंधी पट्टी और दूसरों के बीच कोई खास अंतर नहीं था.
  • महाराष्ट्रीयन पहचान: बचाव पक्ष का एक और तर्क ये था कि नारायण आप्टे और विष्णु करकरे की पहचान मराठी होने की वजह से की गई. वे दोनों महाराष्ट्रीयन जैसे दिखते थे, जबकि जिन विचाराधीन कैदियों के साथ उन्हें खड़ा किया गया था, वे मराठी नहीं थे. इसे लेकर बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि इससे गवाहों के लिए उन दोनों की पहचान करना आसान हो गया था.

हालांकि, मजिस्ट्रेट ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा था कि नारायण आप्टे प्रत्यक्ष रूप से महाराष्ट्रीयन नहीं दिखते हैं. इसके अलावा, दोनों को परेड के दौरान अपने कपड़े बदलने का ऑप्शन भी दिया गया था. इस बात का कोई कारण नहीं था कि उन्हें केवल उनके जातीय पृष्ठभूमि के कारण पहचाना गया हो.

पहचान की ये प्रक्रिया :-

पहचान की ये प्रक्रिया सिर्फ एक परेड से नहीं रुकी. बॉम्बे के हेड प्रेसीडेंसी मजिस्ट्रेट ऑस्कर बी ब्राउन ने NATHURAM GODSE, नारायण आप्टे, विष्णु करकरे और अन्य के खिलाफ कई आइडेंटिफिकेशन परेड की. ये कार्यवाही कई महीनों तक चली:
-7 जनवरी, 1948 को गोडसे और नारायण आप्टे के खिलाफ एक आइडेंटिफिकेशन परेड आयोजित की गई थी.
-1 फरवरी, 1948 को एक और आइडेंटिफिकेशन परेड आयोजित की गई, जिसमें गोडसे, आप्टे, करकरे और अन्य शामिल थे.
-मार्च 16, मार्च 10, मार्च 14, और 9 अप्रैल, 1948 को भी आइडेंटिफिकेशन परेड आयोजित की गई थी.

कई सावधानियां बरती गईं :-

पहचान की कार्यवाही में मजिस्ट्रेट ऑस्कर बी. ब्राउन ने अपनी तरफ से गवाही के लिए अलग से सावधानी बरती. उन्होंने परेड के लिए अलग-अलग कोर्ट रूम से अपने आप लोगों का चयन किया और यह सुनिश्चित किया कि जांच में शामिल कोई भी पुलिस अधिकारी कार्यवाही के दौरान उपस्थित नहीं रहे.
जजमेंट के मुताबिक, इसमें शामिल सभी पक्षों के सामने पंचनामा (ज्ञापन) लिखा जाता था. इसके अलावा, कोई भी पंचनामे पर किसी भी आपत्ति या सुधार के लिए आवाज उठा सकता था. इन परेडों के दौरान किसी भी आरोपी ने कोई आपत्ति नहीं जताई थी.

NATHURAM GODSE और उसके साथ साजिश करने वालों की पहचान ने MAHATAMA GANDHI की हत्या के बाद मुकदमे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. सख्त कानूनी प्रोटोकॉल के तहत इन सभी की पहचान की गई थी.
गौरतलब है कि MAHATAMA GANDHI मर्डर केस की ओरिजिनल जजमेंट फाइल को दिल्ली हाई कोर्ट ने हाई कोर्ट ई-म्यूजियम नाम के ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया है. इसमें कई ऐतिहासिक केस की ओरिजिनल जजमेंट फाइल अपलोड की गई है. जिसमें डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सुप्रीम कोर्ट दोनों के दस ऐतिहासिक केस के डिजिटल रिकॉर्ड शामिल हैं. दिल्ली हाई कोर्ट का पहला जजमेंट, इंदिरा गांधी हत्या, संसद हमला और लाल किला हमला जैसे कई जरूरी जजमेंट को शामिल किया गया है. का यह पहला भाग गांधी की हत्या के बाद की कानूनी प्रक्रिया के बारे में है.

बचाव पक्ष की दलीलें :-

MAHATAMA GANDHI की हत्या में कई षड्यंत्र और कानूनी चुनौतियां शामिल थीं. NATHURAM GODSE ने 30 जनवरी, 1948 को MAHATAMA GANDHI पर गोलियां चलाईं थीं. MAHATAMA GANDHI मर्डर केस में आरोपियों में एक नाम ऐसा भी था जिस पर खूब बहस चली. ये नाम था विनायक दामोदर सावरकर और उनकी भूमिका.

इस पूरी जिरह में कई षड्यंत्रकारी सामने आए और गवाहों की घंटों पूछताछ की गई. बचाव की रणनीतियां सबकी अलग-अलग थीं. लेकिन इन सब में मुख्य तर्क यह था कि NATHURAM GODSE ने अकेले इस हत्या को अंजाम दिया है और इसके पीछे कोई बड़ा षड्यंत्र नहीं था. बचाव पक्ष ने अन्य आरोपियों जैसे नारायण डी. आप्टे, दिगंबर बड़गे और अन्य की भूमिकाओं को कम करके दिखाने की कोशिश की गई. इस दौरान सभी ने अपने-अपने स्टेटमेंट दिए थे.
केवल मैं था जिम्मेदार’

NATHURAM GODSE, जिसने 30 जनवरी, 1948 को गांधी को गोली मारी थी, ने अपने बचाव में एक लंबा लिखित बयान दायर किया था. इस दस्तावेज में उसने अपने कदमों और गांधी की हत्या से पहले की घटनाओं के बारे में डिटेल में बताया. गोडसे ने दावा किया कि भले ही उसने हत्या की हो, लेकिन ये हत्या केवल उसके अपने व्यक्तिगत राजनीतिक पक्ष से प्रभावित थी न कि किसी साजिश का हिस्सा. गोडसे ने खुद को अपराध का एकमात्र सूत्रधार बताया. इतना ही नहीं बल्कि गोडसे ने दूसरों की भूमिका को भी सिरे से खारिज कर दिया.

अपने लिखित बयान के अनुसार, गोडसे और उनके करीबी सहयोगी नारायण डी. आप्टे 14 जनवरी, 1948 को पूना (अब पुणे) से बॉम्बे (अब मुंबई) गए थे. गोडसे के अनुसार, उनका उद्देश्य गांधी के अनशन और पाकिस्तान को ₹55 करोड़ देने में उनकी भूमिका के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन करना था. गोडसे को गांधी के विभाजन के दौरान किए गए कार्यों और उसके बाद हुए सांप्रदायिक हिंसा से गहरा दुख और धोखा महसूस हुआ था. उनके अनुसार, गांधी की नीतियां पाकिस्तान के बनने और लाखों हिंदुओं की पीड़ा के लिए जिम्मेदार थीं.

गोडसे और आप्टे ने फर्जी नामों का इस्तेमाल करते हुए 17 जनवरी, 1948 को बॉम्बे से दिल्ली की फ्लाइट ली और वे नकली नामों से मरीना होटल में ठहरे. वे 20 जनवरी तक दिल्ली में रहे, जिसके बाद वे कानपुर के लिए रवाना हो गए और फिर बॉम्बे लौट आए. गोडसे के अनुसार, वे 27 जनवरी को आप्टे के साथ फिर से फर्जी नामों के साथ ही दिल्ली लौटे. 30 जनवरी, 1948 को गोडसे ने स्वीकार किया कि उन्होंने अकेले ही बिरला हाउस में MAHATAMA GANDHI को गोली मारी थी और इस तरह हत्या की पूरी जिम्मेदारी ली.
गोडसे का बचाव दो प्रमुख तर्कों पर आधारित था: पहला, कि गांधी की हत्या के लिए वे अकेले जिम्मेदार थे, और दूसरा, कि उनका काम राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित था, न कि किसी व्यक्तिगत दुश्मनी से.

सावरकर की भूमिका :-

गांधी हत्या मामले के सबसे विवादास्पद पहलुओं में से एक हिंदू महासभा के प्रमुख नेता विनायक दामोदर सावरकर की भूमिका थी. सावरकर पर हत्या की साजिश में प्रमुख साजिशकर्ता होने का आरोप लगाया गया था, और पक्ष ने तर्क दिया कि सावरकर ने गोडसे और आप्टे को वैचारिक समर्थन दिया था.

अपने बचाव में, सावरकर ने साजिश में किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया था. सावरकर का दावा था कि भले ही उनकी गोडसे और आप्टे से बातचीत हुई थी, लेकिन ये चर्चाएं केवल राजनीतिक मुद्दों पर केंद्रित थीं और गांधी की हत्या से उनका कोई संबंध नहीं था. सावरकर के बचाव का जोर इस बात पर था कि वह हिंदू राष्ट्रवाद के पक्षधर थे, लेकिन हिंसा का समर्थन नहीं करते थे.

अदालत को साजिश में सावरकर की प्रत्यक्ष भागीदारी को लेकर कोई तथ्य नहीं मिला. उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं थे जो उन्हें हत्या की योजना से जोड़ते हों. आखिर में साक्ष्यों की कमी के कारण सावरकर को बरी कर दिया गया था.
सावरकर (फोटो- सोशल मीडिया)

मेडिकल रिपोर्ट :-

हत्या के बाद के घंटों में, जांचकर्ताओं ने घटनास्थल से एविडेंस इकट्ठे करना शुरू किया. एफ.सी. रतन सिंह और जसवंत सिंह, पुलिस के दो अधिकारी, ने स्थिति को नियंत्रित किया. उन्होंने प्रार्थना मंच से दो खाली कारतूस केस, दो चली हुई गोलियां, और एक खून से सना हुआ कंधे पर रखने वाला पट्टा बरामद किया, जहां गांधी गिरे थे.

गांधी के शरीर की मेडिकल टेस्टिंग कर्नल डी.एल. तनेजा द्वारा की गई, जो नई दिल्ली के सिविल अस्पताल में डॉक्टर थे. उन्होंने सुबह 8 बजे, 31 जनवरी, 1948 को अपनी रिपोर्ट दी. रिपोर्ट में गांधी को लगी चोटों का जिक्र था:

  •  गांधी की छाती के दाहिनी ओर, चौथे इंटरकोस्टल स्थान के पास, एक छिद्रित चोट, जो एक गोली द्वारा हुई. इस चोट से कोई बाहरी घाव नहीं था, जो यह दर्शाता है कि गोली अंदर ही फंसी रही.
  • पेट के दाहिनी ओर दो छिद्रित चोटें, एक सातवें इंटरकोस्टल स्थान के पास और दूसरी नाभि के ऊपर. ये चोटें भी गोलियों द्वारा की गईं, जो गांधी की पीठ के पास निकल गईं, जिससे अलग से क्षति हुई.
    कर्नल तनेजा के मुताबिक मृत्यु का कारण इंटरनल ब्लीडिंग और शॉक था.

बचाव पक्ष की रणनीति :-

गांधी हत्या मामले में बचाव पक्ष की रणनीति काफी अलग-अलग थी. गोडसे का बचाव उसके व्यक्तिगत उद्देश्यों पर केंद्रित था, जबकि आप्टे और बड़गे जैसे अन्य लोगों ने अपनी भागीदारी को कम करके दिखाने या साजिश की जानकारी न होने का दावा करने की कोशिश की थी.

अदालत के फैसले, को 211 पन्नों की फाइल में दर्ज किया गया. MAHATAMA GANDHI मर्डर केस की पूरी जजमेंट फाइल को दिल्ली हाई कोर्ट ने हाई कोर्ट ई-म्यूजियम नाम के ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड किया है. इसमें कई ऐतिहासिक केस की ओरिजिनल जजमेंट फाइल अपलोड की गई है. जिसमें डिस्ट्रिक्ट कोर्ट सुप्रीम कोर्ट दोनों के दस ऐतिहासिक केस के डिजिटल रिकॉर्ड शामिल हैं. जैसे- दिल्ली हाई कोर्ट का पहला जजमेंट, इंदिरा गांधी हत्या, संसद हमला और लाल किला हमला जैसे कई जरूरी जजमेंट आदि.

इस जजमेंट में गोडसे ने अपना अपराध स्वीकारा था. वहीं अन्य लोगों, विशेष रूप से आप्टे, बड़गे और सावरकर की भागीदारी को लेकर काफी बड़ी जांच हुई. आखिर में, कई आरोपियों को दोषी ठहराया गया, जबकि सावरकर जैसे अन्य लोगों को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया गया.

 

नेहरू  का  संदेश

गांधी की हत्या की खबर फैलने के बाद, पूरा देश शोक में डूब गया था. पूरे भारत में, लोग सार्वजनिक जगहों पर इकट्ठे होकर दुःख मना रहे थे. दुनिया भर के नेताओं ने इस दुखद घटना पर अपनी चिंता और दुःख जताया था. उस समय भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक रेडियो प्रसारण में राष्ट्र को संबोधित किया:

“मित्रों और साथियों, हमारे जीवन से प्रकाश चला गया है, और हर जगह अंधेरा है… हमारे प्रिय नेता, बापू, जैसा कि हम उन्हें कहते थे, राष्ट्रपिता, अब नहीं रहे.”

31 जनवरी 1948, गांधी की हत्या के दिन के बाद, नई दिल्ली में एक विशाल अंतिम यात्रा का आयोजन किया गया. उनका शव एक साधारण लकड़ी के मंच पर ले जाया गया, इसके पीछे लाखों शोकाकुल लोग थे जो सड़कों पर खड़े थे, रोते और प्रार्थना गाते हुए. लाखों लोगों ने मिलकर एक साथ बापू को अलविदा कहा.

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook
  • Click to share on X (Opens in new window) X

Like this:

Like Loading...
TAGGED: Why was Gandhiji assassinated?
Share this Article
Facebook Twitter Copy Link Print
What do you think?
Love0
Sad0
Happy0
Sleepy0
Angry0
Dead0
Wink0
Leave a comment Leave a comment

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You Might Also Like

'दूल्हा सफाई' और धोखे के नए रुझान रिश्तों में भरोसे पर सवाल उठाते हैं ?
अंतरराष्ट्रीयताजा खबर

क्या शादियाँ एक व्यवसाय बन गई हैं? ‘दूल्हा सफाई’ और धोखे के नए रुझान रिश्तों में भरोसे पर सवाल उठाते हैं!

June 11, 2025
Jharkhand Academic Council  Ranchi : JAC Board Class 12th Science & Commerce Exam 2025 Result Out !
ताजा खबरझारखंडशिक्षा/कैरियर

Jharkhand Academic Council  Ranchi : JAC Board Class 12th Science & Commerce Exam 2025 Result Out !

May 31, 2025
16 मई 2025: Aaj ka Rashifal
आज का राशिफलताजा खबर

16 मई 2025: Aaj ka Rashifal

May 16, 2025
16 मई 2025: Aaj ka Rashifal
आज का राशिफलताजा खबर

05 मई 2025: Aaj ka Rashifal

May 5, 2025

About Us     Contact Us       Privay Policy      Disclaimer     Correction Policy     Fact Checking Policies     Our Team

Copyright © 2024 The Palash News

Removed from reading list

Undo
Go to mobile version
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?
%d