“सरताज वही”
आकाश वही,
पाताल वही,
नदियाँ है अलग,
है मिठास वही |
भाषा है अलग,
कांसा है अलग,
है देश अलग,
पर स्वांस वही |
है दिन भी वही,
है रात वही,
कुदरत का,
सूरज -चाँद वही |
खेती मिटटी,
पर्वत झरना,
देखन में अलग,
है काज वही,
है साज वही,
है राज वही,
धरती है एक,
सरताज वही
— विद्रोही जी
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